आज दिल्ली में भी देश के कई दूसरे नगरों की तरह लगातार कई बमों के धमाके हुए। सरकार बताती है तीन लोग मारे गए। लोग जानते हैं भारत में झूठों का पुलिंदा बाँटना सरकारों का चरित्र रहा है। लोग तो बहुत अधिक मारे गए होंगे।
आख़िर क्या वजह है कि भारत में ही ऐसे धमाके होते रहते हैं? दुनिया में मुसलमानों को सबसे ज्यादा चिढ अमेरिका से है। लेकिन गौर करें कि वहां हिंदुस्तान कि तरह आए दिन आतंकी वारदातें नहीं होतीं। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को गिराने कि घटना के बाद वहां कोई बड़ी वारदात करने कि हिम्मत आतंकियों की नहीं हुई। आख़िर क्यों?
अमेरिका एक सख्त देश है और वह आतंकियों से किसी भी मुद्दे पर सोदबजी नही करता। इसके उलट भारत का इतिहास कायराना रहा है।
विश्वनाथ प्रताप से लेकर भाजपाई सरकारों ने लगातार आतंकियों से समझौते किए हैं। सोनिया के इशारे पर नाचनेवाली मौजूदा सरकार से किसी भी किस्म के सार्थक कदम उठाने की उम्मीद करना बेमानी है।
आख़िर हमारी जनता कब तक ऐसी सरकारें चुनती रहेगी और ख़ुद का नाश करवाती रहेगी?
इस मुद्दे पर मैं आपके विचार जानना चाहूँगा।
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