Wednesday, September 17, 2008
क्रिकेट के हुक्मरानों की नई चालबाजियां
देश में क्रिकेट के आला लम्बरदार बीसीसीआइ ने विश्व क्रिकेट संस्था (आईसीआई) में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए निजी लीग को मान्यता देने से रोक लिया था। इन लंबरदारों को अपनी जागीर को बचाए रखने के लिए मिल कर काम करना जरूरी है। कोई ताज्जुब नहीं कि वे ठीक ऐसा ही कर रहे हैं।
कपिलदेव जैसे धुरंधर और देशप्रेमी क्रिकेटर को इन ठेकेदारों ने न सिर्फ़ अपने साथ जुड़ी संस्थाओं से निकल दिया है वरन मौका पाकर अपमानित करने कि कोशिश भी कि है। याद रहे कि इन हुक्मरानों ने चंडीगढ़ स्टेडियम से कपिलदेव कि तस्वीर हटाने तक की जुर्रत कर ली है। भला हो जन आक्रोश कि जूती का कि उन्हें कपिल की तस्वीर वापस लगानी पड़ी।
अब ताजा ख़बर है कि बंगलादेशी हुक्मरानों ने तकनीकि बहाने बना कर उन ११ खिलाड़ियों के इस्तीफे स्वीकार करने से मना कर दिया है जो भारत आकर प्राईवेट लीग खेलना चाहते हैं।
किसने कहा था कि चोर-चोर मौसेरे भाई। उसको धन्यवाद।
अपनी यादगार बातों को पैगाम बना दें
टाटा एआईजी से सफाई मांगी
टाटा एआईजी में अमेरिकी कंपनी का २६% हिस्सा है। कारोबारी क्षेत्र का अनुमान है की टाटा की मजबूत आर्थिक स्थिति इस मुश्किल की घड़ी में काम आएगी। एआईजी की हिस्सेदारी बाद में किसी दूसरे साझीदार को आसानी से बेची जा सकती है। लेकिन टाटा की ओर से अभी इस दिशा में आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है।
एआईजी को बचाने की कोशिश होगी
अभी विगत सोमवार को ही निवेश बैंकिंग के शहंशाह समझे जानेवाले लीमन ब्रदर्स ने ख़ुद को दीवालिया घोषित कर दिया था। उसी दिन एक और बड़े निवेश बैंकर मेरिल लिंच ने भी हाथ खड़े कर दिए। इसे बैंक आव अमेरिका ने ५० ख़राब डॉलर में खरीदने का फ़ैसला करके संकट को कम करने की कोशिश की है। लेकिन तभी से बैंक आव अमेरिका के शेयरों के भाव गिर गए हैं। निवेशकों को शंका है कि बैंक आव अमेरिका मेरिल के भरी आर्थिक नुकसान को नहीं झेल पायेगा।
सोमवार को ही एआईजी के संकट की ख़बर आई थी। एआईजी का भारत में टाटा से मिल कर बीमा कंपनी का कारोबार है।
71 करोड़ का अक्षय कुमार
पाकिस्तान को घेरने की कोशिश?
सुखोई विमान घातक परमाणविकआयुध ले जाने में सक्षम हैं। भारत सरकार की तरफ़ से अभी ये नहीं बताया गया है कि अचानक इन विमानों कि तैनाती कि क्या जरूरत पड़ गई है।
दिल्ली में राजनयिक सूत्रों ने आशंका जताई है कि भारत को अमेरिका ने पाकिस्तान पर दबाव बनने के लिए उकसाया है। याद रहे पाकिस्तान कि अफगानिस्तान से लगी सीमा पर अमेरिकी सैनिकों का आतंकवादी विरोधी अभियान जारी है।
पाकिस्तान के लाख विरोध के बावजूद अमेरिकी सैनिकों ने पिछले पखवाड़े में कम से कम तीन बार पाकिस्तानी सीमा का अतिक्रमण कर विद्रोहियों पर हमले किए हैं। इस क्षेत्र के इतिहास में ऐसा शायद पहली बार हुआ है कि एक संप्रभुता प्राप्त देश कि मर्जी के खिलाफ किसी तीसरी शक्ति ने उसकी सीमा में घुस कर अपने विरोधियों पर हल्ला बोला हो। इससे जाहिर होता है कि अमेरिका आतंकवादियों के सफाए के लिए किस कदर प्रतिबद्ध है।
अमेरिका ने पिछले दिनों खुल कर कहा है कि दुनिया में आतंकवादियों का सबसे बड़ा गढ़ पाकिस्तान ही है.
Tuesday, September 16, 2008
लीमन का कहर
लीमन ब्रदर्स की बर्बादी से पैदा हुए विश्वव्यापी आर्थिक भूचाल ने भारत में भी हजारों नौकरियों को लील लिया है। कंपनी के देश में करीब २५०० कर्मचारी थे। उनकी नौकरियां तो गयीं। साथ में जो और जाने को तैयार हैं अब जरा उनकी सुनें।
- टाटा कंसल्टेंसी और इन्फोसिस ने अपनी कर्मचारी बहाली नीतियों पर पुनर्विचार करने का निर्णय किया है। दूसरे शब्दों में कहें तो ये कम्पनियाँ फिलहाल कोई नई भर्तियाँ नहीं करेंगी। छंटनी की आशंका करें।
- सत्यम कंप्यूटर ने ४५०० कर्मियों की छंटनी करने का फ़ैसला किया है।
- विदोशों में कार्य कर रहे हजारों भारतीय सोफ्टवेयर विशेषज्ञ जल्दी ही घर आने वाले हैं।
- भारतीय मुद्रा रूपये की कमर टूट गई। आज यह डॉलर के मुकाबले करीब २% गिर कर ४६ रूपये पर आ गया।
- पेट्रोलियम आयत खर्च बेतहाशा बढ़ जाएगा। (भारत को प्रति डॉलर अधिक रूपये देने पड़ेंगे।)
- रूपये की कमजोरी का फायदा निर्यातकों को नहीं मिलेगा क्योंकि अमेरिकी आयातक आर्थिक मंदी के शिका रहो जायेंगे।
- पेट्रोलियम की कीमतों में गिरावट का लाभ रुपया के टूटने से कारगर नही रह जाएगा।
- निवेशकों का बाजार से भरोसा लंबे समय के लिए उठ जाएगा।
आतंक के खिलाफ कड़े कानून नहीं लाएगी केन्द्र सरकार: पाटिल
केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा है कि आतंकियों के मसले पर अलग से किसी कठोर कानून कि कोई जरूरत नहीं है। सनद रहे कि गुजरात सहित भाजपा शासित कई राज्य सरकारों ने महाराष्ट्र कि तर्ज पर सख्त कानून पारित करने कि मांग कर राखी है। केन्द्र ने उन्हें खारिज कर दिया है जबकि महाराष्ट्र में ऐसा कानून बाकायदा लागू है। इतना ही नहीं सरकार ने आतंकवाद निरोधी कानून (पोटा) भी खत्म कर दिया है।
श्री पाटिल ने स्वीकार किया कि केन्द्र सरकार को दिल्ली में हमले कि आशंका के बारे में पहले से चेतावनी तो मिल गई थी, लेकिन सटीक तारीख और स्थान के बारे में नहीं पता था।
पाटिल के इन बयानों कि काफी तीखी आलोचना हुई है। विपक्षियों ने पाटिल का उपहास करते हुए पूछा कि क्या उनकी सरकार आतंकियों से तारीख, समय और ठिकाना बता कर हमले करने कि आस करती है।
विस्फोट वाले दिन कुछ ही मिनटों के अन्तराल से कई बार पोशाकें बदले जाने को लेकर हो रही आलोचना के जवाब में पाटिल ने कहा कि आप हमारी नीतियों कि आलोचना करें, मेरे पोशाकों कि नहीं।
विपक्ष कि उनकी इस्तीफे कि मांग पर बोलते हुए पाटिल ने कहा कि मुझे सोनिया गाँधी का आशीर्वाद प्राप्त है। मुझे कोई नहीं हटा सकता। विपक्ष कि मांग कि मुझे कोई परवा नही है।
टाटा सिंगुर में रहे तो अच्छा, जाए तो परवा नहीं: ममता
पश्चिम बंगाल के सिंगुर में टाटा मोटर्स की नैनो कार परियोजना के लिए किसानों की जमीन लिए जाने का विरोध कर रही विपक्ष की नेता ममता बनर्जी ने कहा है की वे नहीं चाहती की तट अपनी परियोजना बंगाल से हटा कर कहीं और ले जाए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर परियोजना चली भी जाए तो उन्हें इसकी कोई परवा भी नहीं है। उनको तो बस किसानों से जबरन ली गई जमीन वापस चाहिए।
याद रहे ममता के नेतृत्व में चल रहे आन्दोलन से परेशान होकर टाटा समूह ने अपनी परियोजना सिंगुर से हटा लेने कि धमकी दी है। टाटा कि ओर से प्रस्तावित कारखाने के निर्माण का काम पिछले तीन हप्तों से बंद है।
ममता के आन्दोलन और टाटा कि धमकी से दबाव में आए पश्चिम बंगाल सरकार ने किसानों को दी जानेवाली मुआवजे की राशि में ५० फीसदी बढोत्तरी करने का एलान किया है। लेकिन ममता जमीन वापसी की मांग पर अदि हुई हैं। विरोधी आन्दोलन के मद्देनजर टाटा समूह ने कारखाने का अभी भी बंद कर रखा है।
सभी सुधीजनों को नमन
मेरे प्रिय आत्मन,
मैं पिछले कई हप्तों से ब्लॉग लिख रहा हूँ, लेकिन चिट्ठाजगत में मेरा प्रवेश आज ही हुआ है। मैं उन सभी सुधीजनों को नमन करते हुए धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने समय निकल कर मेरे संदेशों पर टिप्पणियां की हैं।
मैं बचपन से ही एक प्रकाशक बनने का सपना देखता रहा हूँ। धन्यवाद इस आधुनिक तकनीकि युग का जिसने इतनी सुगमता से मेरा सपना पूरा कर दिया है। मै वचन देता हूँ की पत्रकारिता के आदर्शों को सामने रखते हुए मैं आपकी सेवा करता रहूँगा।
आपका अपना- प्रेमपाल
दिल्ली विस्फोटों का मास्टर माईंड अभी भी पकड़ से बाहर
दिल्ली विस्फोटों के मास्टर माईंड अब्दुस subhan कुरैशी का अभी तक अता-पता नहीं मिला है। यह आदमी इंडियन मुजाहिदीन और ऐसे ही कई अन्य संगठनों के पीछे की प्रमुख शक्ति बताया जाता है। राजनीति में इसके कई पैरोकार हैं जो मुस्लिम वोटों के खातिर इसकी गिरफ्तारी के खिलाफ हैं।
याद रहे उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह ने अपनी सरकार बनते ही सिमी पर से प्रतिबन्ध उठा लिया था और वे आज भी सिमी की वकालत करते हैं। यही मुलायम सोनिया के साथ सौदा करके मनमोहन सिंह की सरकार को बचने के लिए आगे आए थे। गुजरात में हुए विस्फोटों के सन्दर्भ में गिरफ्तार संदिध आतंकियों के परिवारों के साथ सहानुभूति जताने के लिए कांग्रेस के कई दिग्गज भी उनके गाँव जाकर मिले थे। सवाल है कि क्या सरकार ऐसे में सचमुच ही सत्तार जैसे आतंकियों कि गिरफ्तारी कर सकेगी?
वैसे दिखावे के लिए सरकार इंटरपोल को भी सत्तार कि गिरफ्तारी के लिए सूचना जारी कर चुकी है। इंटरपोल देश के बाहर निकल गए अपराधियों को पकड़ने में मदद करती है। सत्तार के बारे में अनुमान है कि वह भारत कि सीमा में ही मौजूद है। तो क्या इंटरपोल को बीच में घसीटना राजनीति की नौटंकी है?
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इस आर्थिक सुनामी से कोई अछूता नहीं रहेगा
लीमन ब्रदर्स के धराशाई होने और मेर्रिल लिंच व एआईजी की मुश्किलों के सामने आने बाद निवेशकों का किसी भी बैंक पर भरोसा नहीं रहा। इतना ही नहीं, इन प्रभावशाली बैंकों का बरबाद होना दुनिया के कई दूसरे देशों के लिए भी खतरे की घंटी है। इस आर्थिक सुनामी से शायद ही कोई अछूता बचे।
शुरुआत हुई है निवेशकों के धन के डूबने और लगभग ३०००० लोगों की नौकरियों के मिटने से। लेकिन बात यहीं पूरी नहीं होगी। इन कंपनियों का डूबना अमेरिकी अर्थ तंत्र में गहरी बीमारी का सूचक है। पिछले साल नीतियों में कह्मी के कारण बैंकों के अरबों डालर के कर्ज डूबत में आ गए और सिटी बैंक मिटने के कगार पर आ गया था। साउदी के शेख, जो सिटी बैंक के अंशधारक भी हैं, ने तब एक भारी रकम लगा कर सिटी को बचाया था।
कहते हैं बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी, उसे तो कटना ही है। पिछले साल प्रकाश में आए अमेरिकी कर्ज संकट के अभी और भी कई शिकार होंगे। बड़ा मुद्दा अब यह है की क्या यह संकट अमेरिका में आर्थिक मंदी का दौर लेकर आएगा?
बीती सदी में सन १९२९ में ऐसे ही एक वित्तीय संकट के बाद अमेरिकी अर्थ व्यवस्था मंदी के गिरफ्त में फंस गई टी और आर्थिक द्रिस्ती से मजबूत दिखनेवाले लाखों अमेरिकी सड़कों पे आ गए थे। इस बार हालात और भी बुरे हैं।
पिछली सदी में अमेरिकी अर्थ तंत्र दुनिया से गुंथा हुआ नहीं था। तब अमेरिका की समस्या अमेरिका की ही थी। अब मुश्किल यह है कि सारी दुनिया ही एक दूसरे से अनेकों बिन्दुओं पर गुंथी हुई है। मसलन भारत को ही लें।
भारत का विदेश व्यापर अमेरिका केंद्रित है। यदि अमेरिका में मंदी आती है तो अगला नंबर भारत का ही होगा। लाखों लोगों के रोजगार छिन जायेंगे और करोड़ों के सामने धंधे-पानी का संकट आ जाएगा। वैश्वीकरण के इस दौर में हमें सबकी ख़बर रखनी होगी और हरेक देश को अपने कायदे-कानूनों में व्यापक फेर-बदल करने पड़ेंगे।
भारत में शुरुआत नौकरियों में कमी से होगी। विगत करीब तीन वर्षों के दौरान देश में नई नौकरियों कि बाढ़ सी आई हुई थी। नतीजतन प्लेसमेंट एजेंसियों कि संख्या ही बड़ी तेजी से बढ़ आई। वेतनमान भी खूब बढ़े। अब यह सब अतीत कि बातें हैं।
सत्यम कम्प्यूटर्स ने ४५०० कर्मचरियों कि छंटनी कि घोषणा की है। चूंकि इन्फोसिस और टाटा कंसल्टेंसी जैसी कम्पनियाँ पूरी तरह से अमेरिकी कारोबार पे आश्रित हैं तो देर-सवेर इनमें भी छंटनी का दौर चलेगा ही।
प्रिय पाठकों! एक कठिन आर्थिक दौर के लिए तैयार हो जाइये।
Monday, September 15, 2008
लीमन ब्रदर्स दीवाला, मेरिल बिका, एआईजी ने मदद मांगी
दुनिया के सबसे बड़े इनवेस्टमेंट बैंकरों में गिने जानेवाले लीमन ब्रदर्स ने आज ख़ुद को दीवालिया घोषित कराने का इरादा जता दिया। इस घटना के बाद आज का दिन अमेरिकी बैंकिंग के इतिहास में काला सोमवार के नाम से याद किया जायगा।
अमेरिकी कानूनों के मुताबिक यह बैंकर अब चैप्टर ११ के तहत अपने को दीवालिया घोषित करने के लिए सरकार से अनुरोध करेगा।
लीमन का भारत में भी काफी कारोबार रहा है। बाजार के सूत्रों के मुताबिक बैंक का भारतीय कंपनियों में निवेश ही करीब १००० करोड़ रूपये से भी अधिक था। शुक्र है यह संस्था पिछले करीब एक महीने से अपने निवेश भर को लगातार कम कर रही थी। बताया जाता है कि कंपनी ने अकेले पिछले कुछेक हप्तों में ही ४०० करोड़ रूपये से भी अधिक के शेयरों कि बिकवाली की है।
फ़िर भी लीमन ब्रदर्स के फेल होने के कारण भारतीय कंपनियों का प्रत्यक्ष नुकसान २००० रूपये से ज्यादा हो सकता है। अभी अप्रत्यक्ष नुकसान के आकलन का कोई उपाय नही है।
आज ही के दिन अमेरिकी निवेश बाजार को हिला के रख देनेवाली एक और बड़ी घटना भी घटित हुई है। एक बड़े निवेश बैंकर मेरिल लिंच भी दीवालिया होते होते बचा है। इसे बैंक आव अमेरिका ने ५० बिलियन डॉलर में खरीदने का फैसला करके इसे फिलहाल के लिए जैसे-तैसे बचा लिया है। इस कंपनी का भी भारत में काफी लंबा- चौड़ा कारोबार hai।
इतना तय है के दुनिया भर में इन कंपनियों में काम करनेवाले हजारों लोगों की नौकरियों और लाखों लोगों के खरबों रुपयों का नाश हो गया है।
मानो एक दिन के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं था, सो बीमा सहित आर्थिक क्षेत्र में और भी कई काम करनेवाली एआईजी ने भी आज ही अमेरिकी सरकार से ख़ुद को फेल होने से बचाने के लिए भरी आर्थिक मदद की गुहार लगायी है। इस कंपनी का भारत में टाटा के साथ मिल कर बीमा का काम है।
इन तीनों ही कंपनियों की बदहाली ने अमेरिका सहित दुनिया के सारे प्रमुख शेयर बाजारों को हिला के रख दिया है। मुंबई शेयर बाजार में भी ५०० अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। कल हालात और भी बुरे हो सकते हैं।
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सिंगूर विवाद में कोई तरक्की नहीं
ममता बनर्जी के उग्र विरोध और टाटा घराने की ओर से सिंगुर छोड़ कर चले जाने की धमकी से दबाव में आई पश्चिम बंगाल सरकार ने किसानों को उनकी जमीन के लिए दिए जाने वाले मुआवजे को ५० % बढ़ाने का फ़ैसला किया है। टाटा समूह ने राज्य सरकार की इस कोशिश की सराहना की है लेकिन चूँकि ममता इस बात पर अड़ी हुईं हैं कि किसानों को जमीन ही दी जाए तो मामले में कोई प्रगति होती नहीं दीख रही है।
टाटा समूह कि ओर से अभी भी कारखाने में काम फ़िर से शुरू नहीं किया गया है।
जिसका जूता उसी का सिर
तैयारियां दोनों तरफ़ से जारी है। मजे की बात यह है की अगर दोनों पक्षों में लडाई छिड़ती है तो पाकिस्तान ऍफ़-१६ सहित उन्हीं सामरिक तत्वों का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ करेगा जिन्हें ख़ुद अमेरिका ने ही मुहैया कराया है।
आपने पहले भी सुना होगा न कि जिसका जूता उसीका सिर।
अमेरिका की पाकिस्तान नीति में बदलाव के संकेत
अमेरिकी प्रशासन के कई प्रभावशाली लोगों ने हाल के दिनों में पाकिस्तान को दी जा रही अमेरिकी सहायता पर प्रश्न उठा के संकेत दिया है कि दुनिया का सबसे ताकतवर देश अपनी एशियाई नीति में बदलाव लेन को तैयार है। बुश प्रशासन से जुड़े कई लोगों ने शंका जताई है कि एफ-१६ सहित कई अन्य सहायतायें आतंकवादियों के बजाय भारत से लड़ाई कि तैयारियों में काम ली जा रही हैं।
याद रहे कि कोई चालीस वर्षों से भी अधिक लंबे काल से अमेरिका पाकिस्तान को भारी पैमाने पर आर्थिक और सामरिक मदद करता रहा है। इसमें से ज्यादातर धन पाकिस्तान को अनुदान के रूप में मिलता रहा है।
इसके उलट जवाहर लाल नेहरू की रूस परस्त नीतियों ने न सिर्फ़ अमेरिका को विरोधियों के खेमे में खड़ा कर दिया था वरन रूस से आने वाली 'सहायता' आने वाली सहायता की भी हम मित्रता के नाम पर भारी कीमतें चुकाते रहे हैं।
तो क्या अमेरिका अब इस एशिआई क्षेत्र में नए समीकरण बनाने की सोच रहा है?
इस प्रश्न का जवाब देने से पहले हमें बदले हालातों पर भी नजर डालनी चाहिए। अतीत का सोवियत संघ अब टूट कर बिखर चुका है। लाख कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान एक आर्थिक शक्ति नहीं बन पाया है। भारत का पड़ोसी चीन कभी भी अमेरिका परस्त नहीं हो सकता। ऐसी दशा में अमेरिका को इस क्षेत्र में अपने अनुकूल माहौल बनाये रखने में भारत से मित्रता के सिवा कोई दूसरा तत्वा कारगर नहीं हो सकता।
भारत को आणविक समझौते के तहत मदद देना अमेरिका की रणनीतिक मजबूरी है। कोई ताज्जुब नहीं की अमेरिकी नीति निर्माता इस मजबूरी का लाभ उठाते हुए इसे स्वेच्छिक नीति का चोला पहना देवें। कम्युनिस्टों का आणविक समझौते का विरोध करने की वजह भी यही है। वे भारत की जगह सदा से चीन के हितों की रक्षा करते रहे हैं।
भाजपा का समझौते का विरोध करना दिखाता है की यह पार्टी सिर्फ़ विरोध के लिए विरोध करने की नादानी से उठ नहीं पा रही है। हाल के दिनों में इस मुद्दे पर पार्टी के रुख में नरमी जताती है की भाजपा वास्तविकता को स्वीकारने लगी है।
राजनीती में कोई किसी का स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता। भारत को एक मौका मिला है की वह अमेरिका की नीतियों को प्रभावित करते हुए अपने क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर ले।
भारतीय तेल निगम केयर्न से सप्लाई बढ़ाएगा
विश्व बाजार में खनिज तेल की अस्थिर कारोबार ने तेल निगम को कई नए तरीके अपनाने पर मजबूर कर दिया है। राजस्थान से तेल की आपूर्ति बढ़ाना उनमें से ही एक कदम है।
शेयर बाजार में गिरावट का रुख जारी
यदि वामपंथियों और समाजवादियों के धड़ों के भरोसे मायावती के केन्द्र में सबल होने की आशंका पनपती है तो यह शेयर बाजार के लिए बुरी ख़बर ही है।
व्यापक महंगाई ने भी बाजार में मांग पर नकारात्मक असर डाला है। कई प्रमुख विश्लेषकों का मानना है किशेयर मूल्यों में नरमी का रुख अभी जारी रहेगा।
क्रिकेट आस्ट्रलिया आने को तैयार
Sunday, September 14, 2008
मैंने केन्द्र को विस्फोट के खतरे के प्रति पहले ही आगाह कर दिया था: मोदी
'मैंने केन्द्र सरकार को दिल्ली में आतंकियों के मंसूबों के बारे में पहले ही बता दिया था'। गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज यह रहस्योदघाटन करते हुए कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीति करना मेरी तासीर नहीं है। ऐसे मुद्दों पर हमारा एक दूसरे पर आरोप लगाना राष्ट्र हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में हुए विस्फोटों से उन्हें काफी दुःख और अफ़सोस हुआ है। कुछ नेता कहलानेवाले लोग ऐसे मुद्दों पर भी राजनीती करने अपराधियों और आतंकियों की हौसला आफजाई कर रहे हैं। श्री मोदी ने बताया कि इस मुद्दे पर राष्ट्र को एकजुट होकर काम करने कि जरूरत है।
सनद रहे कि अहमदाबाद और सूरत जैसी जगहों पर विस्फोटों के बाद लालू और रामविलास पासवान और मुलायम सिंह जैसे लोगों ने नरेन्द्र मोदी पर सिमी के विरुद्ध दुर्भावना की नीयत से काम करने का आरोप लगाते हुए सिमी पर से प्रतिबन्ध हटाने की मांग की थी।
अबकी बारी मुंबई को उड़ाने की
दिल्ली में विस्फोटों की जिम्मेदारी लेनेवाले संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने अबके मुंबई में अधिक घातक हमले और विस्फोट करने की धमकी दी है। एक e-मेल में संगठन ने मुंबई के आतंकवाद विरोधी टुकड़ी पर मुसलमानों के प्रति भेदभाव की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगते हुए धमकाया है कि इसका बदला खूनी वारदातों को अंजाम देकर लिया जाएगा।
इंडियन मुजाहिदीन ने यह भी कहा है कि जयपुर में विस्फोटों को अंजाम देनेवाले उसके सारे सदस्य पूरी तरह से सुरक्षित हैं और अब अधिक खूनी वारदातों को अंजाम देने कि तयारी में लगे हुए हैं। e-मेल मुंबई से ही भेजा गया है और इसमें राजस्थान के वरिस्थ पुलिस अधिकारी श्री जैन को निशाने पर लेने कि बात भी कही गई है। श्री जैन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जयपुर धमाकों से जुड़े अनेकों संदिग्ध आतंकियों को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इस ख़बर के लिखे जाने तक केन्द्र सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने आतंकियों कि इस खुली चुनौती के बारे में कुछ भी नहीं कहा था। माना जा रहा है कि यह धमकी आतंकियों के बढ़ते मनोबल और सरकार कि टूटती हिम्मत का सूचक है।
जयपुर की श्वांस धाराएँ बन गए हैं अजमेर और सीकर रोड
हाल के दिनों में शहर में आवासीय परियोजनाओं में काफी मंदी कि बातें कि जा रही हैं। एकमात्र आर्थिक रूप से समर्थ कोलानेजर्स को छोड़ बाकी छुटभैयों कि हालत ख़राब है। ऐसे में बड़े बिल्डरों कि जारी परियोजनाएं ही शहर की आन रखे हुए हैं।
प्रापर्टी के धंधे से जुड़े लोगों के मुताबिक मांग में मंदी तो है पर कीमतों में कोई विशेष गिरावट न तो है न होने की कोई बड़ी आशंका ही है। मांग में कमी आने से सिर्फ़ इतना हुआ है कि बेतहाशा बढ़ती कीमतों को थोड़ा लगाम लग गया है। यह लगाम तो आख़िर कभी न कभी लगना ही था। अर्थशास्त्र के नियम भी यही कहतें हैं कि किसी भी चीज या सेवा की कीमतें अनवरत नहीं बढ़ सकतीं। कीमतों को विराम लेना ही पड़ता है। इस सिद्धांत के मुताबिक अगले कुछेक महीनों में प्रोपर्टी की कीमतें एक बार फ़िर बढ़नी चाहिए.
भयावह त्रासदी फ़िर याद आई, सरकारों पर भरोसा नहीं
यह पूछने पर कि क्या वे राज्य या केन्द्र सरकार पर उनकी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था का भरोसा करते हैं जबाब एक बार फ़िर न में था। अपवादों को छोड़ किसी को सरकारों पर भरोसा नहीं है।
दिल्ली विस्फोट में मरनेवालों की संख्या ३० से अधिक संभव
दिल्ली विस्फोट में मरने वालों की संख्या १८ के पर चली गई है। हमारे सूत्रोंके मुताबिक यह संख्या ३० से अधिक हो सकती है। याद रहे ५० से अधिक लोग गंभीर अवस्था में दिल्ली के कई अस्पतालों में भरती हैं। सबसे ज्यादा घायल व्यक्ति राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती
सरकार ने विस्फोट की जिम्मेदारी लेनेवाले संगठनों के बारे में कुछ भी कहने से इंकार करते हुए इस दिशा में जाँच कराने की बात कही है। हम इस सरकार से इससे अधिक उम्मीद भी क्या करें?
और भी कम्पनियाँ कलकत्ता से निकलने की तैयारी में
इन्फोसिस ने हालाँकि अभी तुरत निकलने का विचार बनाने की बात से मना कर दिया है। लेकिन ऐसी आशंका को खारिज भी नहीं किया है। इसके मुकाबले सत्यम ने साफ तौरसे निकलने का विचार जताया है।
सत्यम सोफ्टवेयर बनानेवाली देश की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है।
आज क्या होगा?
शेयरों में नरमी।
लोहा, सीमेंट स्थिर।
गुड, खांड, चीनी, जैसी चीजों में तेजी का रुख।
सोना, चांदी नरम।
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यह हमारे भविष्यवक्ता का अनुमान है। इस पर कार्रवाही करने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करें।
नौकर नाराज हैं और मालिक बेकदर
जब नौकर मालिक बन जाते हैं तो फ़िर यही होता है। नेहरू ने रूस कि तर्ज पर जो सरकारी तंत्र खड़ा किया वह कैंसर कि तरह समाज को खाए जा रहा है। भ्रस्टाचार शर्म-हया कि सीमायें न जाने कब का लाँघ चुका है। समाजवाद के झंडाबरदार और सार्वजनिक क्षेत्र के पैरोकार न जाने कब होश में आयेंगे?
लेकिन दुःख पानेवाली जनता के बारे में सहानुभूति कि जरूरत भी नहीं है। लफंगों को प्रतिनिधि चुननेवाली जनता को सजा तो मिलनी ही चाहिए।
भोगिये श्रीमन, अभी तो शुरुआत है। आगे बहुत कुछ होना बाकी है।
राजस्थान विधान सभा चुनाव का ताजा रुख
भाजपा का स्कोर है - ६
कांग्रेस - ३
बसपा व अन्य - १
कुल - १०
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ताजा रुझानों के लिए इस पन्ने को देखते रहिये।