भारतीय क्रिकेट में निजीकरण की शुरुआत करनेवाले आईसीएल के खिलाफ दुनिया भर के क्रिकेट हुकमरानों का नया दौर शुरू हो गया है। भारत में आईपीएल का जन्म आईसीएल के आतंक के साये में ही हुआ था।
देश में क्रिकेट के आला लम्बरदार बीसीसीआइ ने विश्व क्रिकेट संस्था (आईसीआई) में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए निजी लीग को मान्यता देने से रोक लिया था। इन लंबरदारों को अपनी जागीर को बचाए रखने के लिए मिल कर काम करना जरूरी है। कोई ताज्जुब नहीं कि वे ठीक ऐसा ही कर रहे हैं।
कपिलदेव जैसे धुरंधर और देशप्रेमी क्रिकेटर को इन ठेकेदारों ने न सिर्फ़ अपने साथ जुड़ी संस्थाओं से निकल दिया है वरन मौका पाकर अपमानित करने कि कोशिश भी कि है। याद रहे कि इन हुक्मरानों ने चंडीगढ़ स्टेडियम से कपिलदेव कि तस्वीर हटाने तक की जुर्रत कर ली है। भला हो जन आक्रोश कि जूती का कि उन्हें कपिल की तस्वीर वापस लगानी पड़ी।
अब ताजा ख़बर है कि बंगलादेशी हुक्मरानों ने तकनीकि बहाने बना कर उन ११ खिलाड़ियों के इस्तीफे स्वीकार करने से मना कर दिया है जो भारत आकर प्राईवेट लीग खेलना चाहते हैं।
किसने कहा था कि चोर-चोर मौसेरे भाई। उसको धन्यवाद।
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